गेहूं की पछेती बुवाई

गेहूं की अगेती बुवाई पूरी हो चुकी है। वहीं कुछ किसान ऐसे भी है जो किसी कारणवश गेहूं की अगेती बुवाई नहीं कर पाएं हैं, वे किसान दिसम्बर माह तक गेहूं की पछेती बुवाई कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें जल्दी पकने वाली किस्मों चयन करना होगा। इसके साथ बीज की मात्रा ध्यान रखनी होगी तथा बुवाई का तरीका भी समझाना होगा ताकि बेहतर उत्पादन मिल सके। बता दें कि अगेती बुवाई के मुकाबले पछेती बुवाई में थोड़ा उत्पादन कम प्राप्त होता है। लेकिन यदि खेती की सही तकनीक के बारे में पता हो तो उत्पादन में अधिक गिरावट नहीं आती है।


गेहूं की पछेती किस्म की बुवाई के लिए बीज की मात्रा:-
पछेती किस्म की बुवाई के लिए 55 से 60 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ प्रयोग करना चाहिए। सबसे पहले पछेती किस्मों की बुवाई के लिए बीज को करीब 12 घंटे पानी में भिगोकर रखना चाहिए। इससे बीज का जल्दी व ज्यादा जमाव होता है। इसके बाद बीज को पानी से निकाल कर उसे दो घंटे फर्श पर छाया में सुखाना चाहिए।


गेहूं की पछेती किस्मों का कैसे करें बीजोपचार:-
पछेती किस्मों की बुवाई से पहले बीजों उपचारित करना बेहद जरूरी है। दीमक से बचाव के लिए 150 मिली क्लोरोपाइरीफोस 20 फीसदी का साढ़े चार लीटर पानी में घोल बनाकर एक क्विंटल बीज को उपचारित करें। अगले दिन कंडुआ व करनाल बंट रोग से बचाव के लिए एक ग्राम रेक्सिल फफूंदनाशक दवा प्रति किलो बीज की दर से सूखा उपचार करें। अंत में बिजाई से थोड़ा पहले जीवाणु खाद एजोटोवेक्टर तथा फोसफोटीका से उपचारित कर लेना चाहिए।

गेहूं की पछेती किस्मों की बुवाई का सही तरीका:-
बीज को उपचारित करने के बाद बीज की बुवाई उर्वरक ड्रिल से करें और पछेती बुवाई में खूड़ से खूड़ की दूरी करीब 20 सेंटीमीटर की जगह करीब 18 सेंटीमीटर रखें। किसान जीरो सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल से भी बुवाई कर सकते हैं। यदि डिबलर द्वारा गेहूं की बुवाई करनी हो तो बीज दर 10 से 12 किलो प्रति एकड़ पर्याप्त है। सामान्य बोई गई फसल के लिए दो पंक्तियों के बीच 20 से 22.5 सेमी की दूरी रखी जाती है। बुवाई में देरी होने पर 15 से 18 सेमी की दूरी रखें।

गेहूं की पछेती बुवाई में खाद व उर्वरक का प्रयोग:-
खाद्य व उर्वरक विशेषज्ञों का कहना है कि किसानों को बुवाई से पहले गली सड़ी गोबर की खाद प्रति एकड़ डालना चाहिए। अगर 6 टन गोबर की खाद या कंपोस्ट प्रति एकड़ खेत में डालें, तो फास्फोरस खाद की मात्रा आधी कर दें।
इसके साथ ही बुवाई के समय 50 किलोग्राम डीएपी या 75 किलोग्राम एनपीके 12:32:16 तथा 45 किलोग्राम यूरिया व 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट 21 प्रतिशत डाल दें। ध्यान दें कि एनपीके या डीएपी उर्वरकों को ड्रिल से दें। इसके अलावा जिंक और यूरिया को आखिरी जुताई के दौरान डालें।
वहीं पहली सिंचाई पर 60 से 65 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ डालना चाहिए। अगर रेतीली भूमि है, तो यूरिया दो बार पहली और दूसरी सिंचाई पर डालना चाहिए।

गेहूं की पछेती फसल में सिंचाई का तरीका:-
गेहूं की पछेती बुवाई में अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए इसकी सही समय पर सिंचाई करना जरूरी है। इसके लिए इसकी पहली सिंचाई 3 सप्ताह की जगह 4 सप्ताह बाद करनी चाहिए। इसके बाद की सिंचाई मध्य फरवरी तथा 25 से 30 दिनों के बाद करनी चाहिए। फिर 20 दिन के अंतर पर सिंचाई करनी चाहिए। वहीं फुटाव के समय, गांठें बनते समय, बालियां निकलने से पहले, दूधिया दशा में और दाना पकते समय सिंचाई अवश्य करनी चाहिए।

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