गेंहू के ज्वारे में सबसे प्रमुख तत्व क ...
सितम्बर महीने से किसान सरसों की बुवाई शुरू कर देते हैं, अगर किसान शुरू से ही खेती पर ध्यान देते हैं तो अच्छा उत्पादन पा सकते हैं। रबी की फसलों में सरसों का महत्वपूर्ण स्थान है देश के कई राज्य जैसे राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश में मुख्यता से की जाती है। सरसों के बीज में तेल की मात्रा 30 से 48 प्रतिशत तक पायी जाती है।
सरसों की खेती के लिए सही समय और मिट्टी :-
सरसों की खेती शरद ऋतु में की जाती है। अच्छे उत्पादन के लिए 15 से 25 सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है। वैसे तो इसकी खेती सभी मृदाओं में कई जा सकती है लेकिन बलुई दोमट मृदा सर्वाधिक उपयुक्त होती है। यह फसल हल्की क्षारीयता को सहन कर सकती है। लेकिन मृदा अम्लीय नहीं होनी चाहिए।
खेत की तैयारी :-
सरसों के लिए भुरभुरी मिट्टी की जरूरत होती है। इसे लिए खरीफ की कटाई के बाद एक गहरी जुताई प्लाऊ से करनी चाहिए औरइसके बाद तीन चार बाार देशी हल से जुताई करना लाभप्रद होता है नमी संरक्षण के लिए हमें पाटा लगाना चाहिए। खेत में दीमक, चितकबरा और अन्य कीटो का प्रकोप अधिक हो तो, नियंत्रण के लिए अन्तिम जुताई के समय क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 25 किलोग्राम प्रति हेक्टयर की दर से अंतिम जुताई के साथ खेत मे मिलना चाहिए। साथ ही, उत्पादन बढ़ाने के लिए 2 से 3 किलोग्राम एजोटोबेक्टर व पीए.बी कल्चर की 50 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद या वर्मीकल्चर में मिलाकर अंतिम जुताई से पूर्व मिला दें।
सरसों की बुवाई समय और तरीका :-
सरसों की बुवाई के लिए उपयुक्त तापमान 25 से 26 सेल्सियस तक रहता है। बारानी में सरसों की बुवाई 05 अक्टूबर से 25 अक्टुबर तक कर देनी चाहिए। सरसों की बुवाई कतारो में करनी चाहिए। कतार से कतार की दूरी 45 सें. मी. तथा पौधों से पौधें की दूरी 20 सेमी. रखनी चाहिए। इसके लिए सीडड्रिल मशीन का उपयोग करना चाहिए। सिंचित क्षेत्र में बीज की गहराई 5 सेमी. तक रखी जाती है।
बीज दर :-
बुवाई के लिए शुष्क क्षेत्र में 4 से 5 किग्रा और सिंचित क्षैत्र में 3 से 4 किग्रा बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त रहता है।
बीजोपचार:-
1. जड़ सड़न रोग से बचाव के लिए बीज को बुवाई के से पहले फफूंदनाशक बाबस्टीन वीटावैक्स, कैपटान, थिरम, प्रोवेक्स मे से कोई एक 3 से 5 ग्राम दवा प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें।
2. कीटो से बचाव के लिए ईमिडाक्लोरपीड 70 डब्लू पी, 10 मिलीलीटर प्रति किलोग्राम बीज दर से उपचरित करें।
3. कीटनाशक उपचार के बाद मे एज़ेटोबैक्टर और फॉस्फोरस घोलक जीवाणु खाद दोनों की 5 ग्राम मात्रा से प्रति किलो बीजो को उपचारित कर बोएं ।
सिंचाई:-
पहली सिंचाई बुवाई के 35 से 40 दिन बाद और दूसरी सिंचाई दाने बनने की अवस्था में करें।
खरपतवार नियंत्रण:-
सरसों के साथ अनेक प्रकार के खरपतवार उग आते है, इनके नियंत्रण के लिए निराई गुड़ाई बुवाई के तीसरे सप्ताह के बाद से नियमित अन्तराल पर 2 से 3 निराई करनी आवश्यक होती हैं।
रासयानिक नियंत्रण के लिए अंकुरण से पहले बुवाई के तुरंत बाद खरपतवारनाशी पेंडीमेथालीन 30 ई सी रसायन की 3.3 लीटर मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से 800 से 1000 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए।
उत्पादन :-
यदि जलवायु अच्छी हो सफल रोग किट एवम खरपतवार मुक्त रहे और पूर्णतया वैज्ञानिक दिशा निर्देशों के साथ खेती करें तो 25-30 क्विंटल प्रति हैक्टर तक उत्पादन लिया जा सकता है।
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