धनिया की खेती कैसे करते है(How to cultivate Coriander)

धनिया भारत की प्रमुख मसाला फसलों में से एक है। इसकी खेती भी भारत में बहुत बड़े पैमानें पर की जाती है जिसे हम मसाला फसल के रूप में जानते है। धनिया के पौधे से प्राप्त बीज और पौधे दोनों को उपयोग किया जाता है। भारत में भी धनिया की खेती बहुत प्रमुखता से की जाती है , मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, आंध्रप्रदेश धनिया का उत्पादन करने वाले प्रमुख राज्य है। धनिया हमारे शरीर को भी कई बीमारी से बचाती है , इसके अंदर कैल्शियम, आयरन, फाइबर, विटामिन-ए, सी, कैरोटिन और कॉपर आदि चीजें पाई जाती है।

धनिया की खेती के लिए बुवाई का समय

धनिया की खेती हम रबी के फसल के रूप में करते है , धनिया के बुवाई का समय अक्टूबर से लेकर दिसंबर तक का होता है। धनिया की खेती अगर सही समय पर करें तो अच्छी पैदावार हो सकती है। अगर किसान हरे पत्ते के रूप में इसकी बिजाई करें तो काफी फायदा मिल सकता है। ठंड और पाले से बचाव के लिए धनिया की खेती नवम्बर के द्वितीय सप्ताह में करनी चाहिए

धनिया की खेती के लिए मिट्टी का चुनाव :-

धनिया की खेती के लिए उचित जलनिकासी वाली जमीन सबसे अच्छी मानी जाती है।  इसकी खेती अगर बलुई दोमट मिट्टी में करें तो काफी फायदा हो सकता है। ज्यादा पानी वाली जगह पर किसान को काली मिट्टी का चुनाव करना चाहिए। वहीं धनिया की खेती के लिए भूमि का P.H. मान 6.5 से 7.5 के मध्य होना जरुरी है। कृषि एक्सपर्ट की मानें तो धनिया का पौधा शीतोष्ण जलवायु वाला पौधा माना जाता है , इसलिए इसकी खेती शुष्क और ठंड वाले जलवायु में की जाती है। धनिया के पौधे पर बीज आते समय ठंड का होना जरुरी है। इसकी वजह से बीज खुशबूदार और उच्च गुणवत्ता वाले होते है , लेकिन ठंड के मौसम में गिरने वाला पाला इसके पौधे को और अधिक नुकसान पहुंचाता है।

धनिया की फसल के लिए खेत की तैयारी

धनिया की खेती करते समय यह ध्यान देना चाहिए की खेत में ज्यादा खरपतवार न हो। अगर इसकी खेती सिंचित क्षेत्र में कर रहें है तो भूमि में पानी का होना जरुरी है , इसके बाद खेत को अच्छे से पलेव कर बुवाई करनी चाहिए। ऐसा करने से जमीन के ढेले नहीं बनेंगे और खरपतवार के बीज भी अंकुरित होने से पहले ही खत्म हो जायेंगे। सबसे पहले खेती की अच्छे से जुताई करें उसके बाद खेत को ऐसे ही खुला छोड़ दें। पहली जुताई के बाद खेत में 8 -10 गाड़ी खाद को मिलाना चाहिए , इसके बाद एक बार फिर से जुताई करनी चाहिए। खेत की मिट्टी जब भुरभुरी हो जाये तो पाटा लगाकर खेत को समतल कर देना चाहिए।

धनिया की खेती के लिए बुवाई की विधि

धनिया को बोन से पहले इसके बीज को हल्का रगड़कर दो टुकड़ों में बाट देते है। इसके बाद धनिया की बुवाई हम सीड ड्रील के द्वारा करते है। किसान भाइयों को इसकी बुवाई हमेशा कतारों में करनी चाहिए , कतार से कतार की दूरी लगभग 7 से 10 सेंटीमीटर होना जरुरी है। किसान अगर इसकी बुवाई पंक्ति में करें तो काफी फायदा मिल सकता है। किसान भाइयों को यह ध्यान देना होगा की कभी भी इसके बीज की बुवाई ज्यादा गहराई में नहीं करना चाहिए

धनिया के फसल की कटाई, पैदावार और लाभ

धनिया के फसल की कटाई बीजों के किस्म के आधार पर की जाती है। धनिया की फसल 120 -130 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इसके पौधे की कटाई हम दो तरह से कर सकते है , जिसके लिए अलग – अलग समय का निर्धारण किया गया है। अगर किसान भाइयों आपने धनिया की बुवाई पत्तियों के लिए किया है तो पत्तों के बड़ा होते ही इसकी कटाई कर लेनी चाहिए। इसके अलावा किसान भाइयों अगर आप बीजों के रूप में फल प्राप्त करना चाहते है तो इसके लिए आपको तोडा इंतजार करके कटाई करनी चाहिए।

धनिया की पत्तियां जब पीली पड़कर गिरने लगें तो इसकी कटाई कर लेनी चाहिए। कटाई करने के बाद आप इन्हे सूखा लें , जब इसके डंठल पूरी तरह से सूख जाएं तो बीजों को अलग कर लेना चाहिए। धनिया की मांग भी बाजारों में हमेशा रहती है , इसलिए इसकी खेती करना काफी फायदें का सौदा हो सकता है।

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