गेंहू के ज्वारे में सबसे प्रमुख तत्व क ...
मक्का की खेती खरीफ की फसल के रूप में की जाती है. मक्का अनाज वाली फसलों में सबसे बड़े दाने की फसल हैं. इसके दानो का इस्तेमाल कई तरह से खाने में किया जाता है. मक्का की खेती ज्यादातर उत्तर भारत में की जाती है. इसकी खेती अगर बेबी कॉर्न के रूप में की जाए तो ये एक बहुत ही लाभकारी फसल है. लेकिन अनाज के रूप में भी इसकी पैदावार काफी फायदे वाली फसल हैं. मक्के की फसल में भी कई तरह के रोग पाए जाते हैं. जिनकी उचित टाइम रहते देखभाल कर फसल को खराब होने से बचाया जा सकता हैं.
मक्के के पौधों में पत्ती झुलसा रोग का असर पत्तियों पर देखने को मिलता है. इस रोग के प्रभाव की वजह से पौधे पर शुरुआत में नीचे की पत्तियां सुखने लगती हैं. और पत्तियों पर लम्बे आकर के भूरे पीले धब्बे बन जाते हैं. रोग बढ़ने पर पौधों में ऊपर की पत्तियां भी धीरे धीरे सूखने लगती है. जिससे पौधा विकास करना बंद कर देता है.
रोकथाम
इस रोग की रोकथाम के लिए पौधों पर जिनेब या जीरम की दो किलो मात्रा का छिडकाव पौधों पर करना चाहिए.
इसके अलावा नीम के तेल की उचित मात्रा का छिडकाव पानी में मिलकर करने से भी पौधों में लाभ देखने की मिलता है.
मक्का के पौधों पर इस रोग का प्रभाव पौधों के अंकुरण के 12 से 15 दिन बाद ही दिखाई देने लग जाता है. इसके लगने पर शुरुआत में पौधों की पत्तियों पर सफ़ेद रंग की धारियां दिखाई देने लगती है. रोग बढ़ने की स्थिति में प्रभावित पौधों की पत्तियों पर सफ़ेद रुई जैसा आवरण दिखाई देने लगता हैं. जिससे पौधा प्रकाश संश्लेषण की क्रिया बंद कर देता है. जिससे पौधे का विकास भी रुक जाता है. जिस कारण पैदावार को काफी नुक्सान पहुँचता हैं.
रोकथाम
इस रोग की रोकथाम के लिए खेत की तैयारी के वक्त खेत की सफाई कर उसकी गहरी जुताई कर तेज़ धूप लगने के लिए खुला छोड़ दें.
खडी फसल में रोग दिखाई देने पर मैन्कोजेब की ढाई ग्राम मात्रा को प्रति लीटर की दर से पानी में मिलाकर पौधों पर रोग दिखाई देने पर शुरुआत में छिडकना चाहिए.
इसके अलावा डायथेन एम-45 दवा की उचित मात्रा का छिडकाव पौधों पर तीन से चार बार करना चाहिए.
मक्का की खेती में तना सडन रोग का प्रभाव पौधों के विकास के दौरान अधिक बारिश के कारण जल भराव के दौरान देखने को मिलता है. इस रोग की शुरुआत पौधे पर पहली गांठ से होता है. इस रोग के लगने पर पौधों के तने की पोरियों पर जलीय धब्बे दिखाई देने लगते हैं. जो बहुत जल्दी सड़ने लग जाते हैं. और पौधे की पत्तियां पीला पड़कर सूखने लगती है. जिसका असर बाद में पूरे पौधे पर देखने को मिलता है.
रोकथाम
इस रोग की रोकथाम के लिए 500 ग्राम कॉपर आक्सीक्लोराइड या 60 ग्राम एग्रीमाइसीन की मात्रा का छिडकाव प्रति हेक्टेयर की दर से पौधों पर करना चाहिए.
इसके अलावा कैप्टन दावा का छिडकाव भी लाभदायक होता है.
मक्के के पौधों में लगने वाला तना छेदक रोग कीट जनित रोग हैं. इस रोग की सुंडी पौधे के तने के अंदर छिद्र बनाकर रहती है. जो अंदर से पौधे को खाकर उसे कमजोर बना देती है. जिससे पौधा विकास करना बंद कर देता हैं. इस रोग की सुंडी का रंग सफ़ेद दिखाई देता है. पौधों पर इस रोग का प्रभाव जुलाई और अगस्त माह में अधिक देखने को मिलता है.
रोकथाम
फसल की शुरुआत में खेत में 5 से 6 फेरोमोन ट्रैप को खेत में लगाना चाहिए.
इस रोग की रोकथाम के लिए पौधों पर कार्बेरिल की उचित मात्रा का छिडकाव पौधों के विकसित होने के लगभग 15 से 20 दिन बाद लगातार 10 से 12 दिन के अंतराल में चार बार करना चाहिए. हर बार कार्बेरिल की मात्रा में सामान रूप से वृद्धि करते रहना चाहिए.
इसके अलावा मोनोक्रोटोफास या क्लोरपाइरीफास की उचित मात्रा का छिडकाव भी रोकथाम के लिए लाभदायक होता है
मक्का के पौधों में पत्ती लपेटक कीट रोग का प्रभाव पौधे की पत्तियों पर दिखाई देता है. इस रोग के कीट पौधे की पत्तियों को लपेटकर उनके अंदर सुरंग बनाकर रहते हैं. जो इनके अंदर रहकर ही पत्तियों का रस चूसते हैं. जिससे पत्तियां सूखकर पीली पड़ जाती है. और धीरे धीरे जाली का रूप धारण कर लेती हैं. इस रोग लगने से पौधे अच्छे से विकास नही कर पाते.
रोकथाम
इस रोग की रोकथाम के लिए पौधों की समय से रोपाई कर उसमें खरपतवार पैदा ना होने दें.
खड़ी फसल में रोग दिखाई देने पर मोनोक्रोटोफास, क्लोरपाइरीफास या क्यूनालफास की सवा से डेढ़ लीटर मात्रा को 500 लीटर पानी में मिलाकर पौधों पर छिड़कना चाहिए.
इसके अलावा रोगग्रस्त पत्तियों को एकत्रित कर उन्हें जला देना चाहिए.
मक्का की फसल में दीमक का प्रभाव बीजों के अंकुरण से लेकर फसल के पककर तैयार होने तक कभी भी दिखाई दे सकता हैं. लेकिन बीजों के अंकुरण और फसल के पकने के दौरान इसका प्रभाव पौधों पर अधिक देखने को मिलता है. इस रोग के कीट पौधे की जड़ों पर आक्रमण कर पौधे को अंकुरित होने से पहले ही नष्ट कर देते हैं. जिससे पौधा मुरझाकर सुख जाता हैं.
रोकथाम
इस
रोग की रोकथाम के लिए बीजों की रोपाई से पहले खेत की तैयारी के वक्त खेत
में 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से नीम की खली का छिडकाव कर उसे
मिट्टी में मिला दें.
इसके अलावा बीज रोपाई के वक्त उन्हें फिप्रोनिल 5 एफ.एस. की 6 मिलीलीटर प्रति किलो की दर से उपचारित कर लेना चाहिए.
फसल रोपाई के बाद रोग दिखाई देने पर क्लोरोपाइरीफास 20 प्रतिशत ई.सी. की ढाई लीटर मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से सिंचाई के साथ पौधों को देनी चाहिए.
मक्का के पौधों में लगने वाला सूत्रकृमि पौधों को काफी ज्यादा नुक्सान पहुँचाता हैं. इस रोग का लार्वा जमीन में रहकर पौधों को नुक्सान पहुँचाता हैं. इस रोग का लार्वा बेलनाकार दिखाई देता है. जिसकी लम्बाई तीन सेंटीमीटर तक पाई जाती है. इस रोग का लार्वा पौधे की जड़ों को संक्रमित कर पौधों को नष्ट कर देता हैं. जिससे फसल को काफी नुक्सान पहुँचता हैं.
रोकथाम
इस रोग की रोकथाम के लिए शुरुआत में खेत की जुताई के वक्त खेत की गहरी जुताई कर खेत को धूप लगने के लिए खुला छोड़ दें.
इसके अलावा खेत की जुताई के वक्त खेत में फोरेट का छिडकाव कर उसे मिट्टी में मिला दें.
0
0
गेंहू के ज्वारे में सबसे प्रमुख तत्व क ...
फूल उगने के समय इस कीट के प्रकोप से बीज ...
किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) किसानो के लिए ...
भारत एक कृषि प्रधान देश है तथा विश्व क� ...
जिस प्रकार मनुष्य एवं जानवरों को सं� ...
फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) योजना के उद� ...
योजना के तहत सरकार किसानों की आर्थिक � ...
रोटावेटर एक संचालित मशीन है जो भूमि को ...
जलवायु परिवर्तन क्या है? जलवायु परि� ...
भारत में खरीफ फसलों (Kharif Season) की खेती का क� ...
हरियाणा कृषि यंत्र अनुदान योजना :-जैसे ...
आज के समय में खेती के क्षेत्र में नई-नई ...
धान एक प्रमुख खाद्द्यान फसल है, जो पूर� ...
जैसा कि नाम से पता चलता है, ऊर्ध्वाधर ख� ...
किसान अपने खेतों में दो प्रकार के फसल � ...
किसान अपनी फसल उगाने से लेकर फसल प्रा� ...
धान की खेती करने वाले किसानों के लिए य� ...
भारतीय जीवनशैली में अनाजों का महत्व ह� ...
लगातार एक ही प्रकार के फसल एक ही भूमि म� ...
मृदा स्वास्थ्य का अर्थ मृदा के उन सभी ...
Soil Health Card Scheme को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2015 ...
धनिया एक हर्ब है जो हर तरह से बहुत उपयो� ...
धनिया भारत की प्रमुख मसाला फसलों में स ...
जैविक खेती / Organic Farming वर्तमान समय की जरुर� ...
कल्टीवेटर (Cultivator) कृषि क्षेत्र में सबसे � ...
सितम्बर महीने से किसान सरसों की बुवाई ...
चना रबी सीजन की एक प्रमुख फसल है. इसे छो ...
मिर्च की खेती को मसाला फसल के रूप में क� ...
पराली की बेल बनाने वाले किसानों को हर� ...
गेहूं की अगेती बुवाई पूरी हो चुकी है। � ...
मूली की फसल कच्ची सब्जी के रूप में इस्� ...