How to Grow Berseem: A Complete Guide to Quality Fodder Production (बरसीम की खेती की पूरी जानकारी: पशुओं के लिए बेहतरीन चारा)

Berseem (Trifolium alexandrinum) is a valuable fodder crop widely used in animal husbandry due to its high nutritional content. It is a winter crop cultivated in many parts of India, providing nutritious green fodder for livestock. This article provides a comprehensive guide to cultivating berseem, covering essential steps from soil preparation to harvesting.

बरसीम (Trifolium alexandrinum) एक महत्वपूर्ण चारे की फसल है, जिसे विशेष रूप से पशुपालन में उपयोग किया जाता है। इसके पौधे में पोषक तत्वों की अधिकता होती है जो पशुओं के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। बरसीम की खेती सर्दियों के मौसम में की जाती है और इसकी खेती भारत के कई हिस्सों में लोकप्रिय है। आइए जानते हैं, बरसीम की खेती कैसे की जा सकती है:

जलवायु और मिट्टी

जलवायु: बरसीम की खेती के लिए ठंडी जलवायु उपयुक्त होती है। इसके लिए तापमान 15-25°C के बीच सबसे अच्छा होता है।

मिट्टी: हल्की से मध्यम उपजाऊ मिट्टी, जिसमें जल निकासी की अच्छी व्यवस्था हो, बरसीम के लिए अनुकूल मानी जाती है। इसकी खेती के लिए पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए।

खेत की तैयारी

  • खेत को अच्छी तरह से जोतें और मिट्टी को भुरभुरी बना लें।
  • खेत में 2-3 बार जुताई के बाद पाटा लगाएं जिससे मिट्टी समतल हो जाए।
  • आखिरी जुताई में गोबर की खाद या कम्पोस्ट डालना फायदेमंद रहेगा। इससे मिट्टी में पोषक तत्व बढ़ जाते हैं।

बीज का चयन और बुवाई का समय

बीज का चयन: उच्च गुणवत्ता वाले बरसीम के बीज का उपयोग करें, ताकि पौधों की वृद्धि अच्छी हो।

बुवाई का समय: बरसीम की बुवाई का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से नवंबर तक होता है।

बुवाई की विधि: बरसीम की बुवाई छिड़काव या कतारों में की जा सकती है। कतारों में बुवाई करने पर पौधों की देखभाल आसान होती है।

बीज दर और दूरी

एक हेक्टेयर खेत के लिए 20-25 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। यदि कतारों में बुवाई कर रहे हैं तो कतार से कतार की दूरी 25-30 सेमी रखनी चाहिए।

उर्वरक प्रबंधन

बुवाई से पहले खेत में 10-12 टन गोबर की खाद मिलाएं। इसके अलावा, 20-25 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर की दर से देना चाहिए, जिससे पौधे की वृद्धि अच्छी होती है।

सिंचाई

बरसीम के बीज अंकुरित होने के लिए नमी की आवश्यकता होती है, इसलिए बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें।बरसीम की फसल को हर 20-25 दिन में सिंचाई की आवश्यकता होती है। ध्यान दें कि खेत में जलभराव न हो, इससे पौधों को नुकसान हो सकता है।

रोग और कीट नियंत्रण

  • बरसीम में मुख्यतः पत्ती धब्बा रोग और स्टेम रोट जैसी बीमारियां लग सकती हैं। इसके लिए समय-समय पर जैविक फफूंदनाशक का छिड़काव करना फायदेमंद रहेगा।
  • कीटों में फली छेदक और चेपा प्रमुख हैं। जैविक कीटनाशकों का उपयोग कर कीटों का नियंत्रण किया जा सकता है।

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कटाई

बरसीम की पहली कटाई बुवाई के लगभग 60-65 दिन बाद की जा सकती है। इसके बाद, हर 25-30 दिन के अंतराल पर कटाई की जाती है। एक सीजन में 5-6 बार कटाई की जा सकती है। प्रति कटाई 10-15 टन प्रति हेक्टेयर हरा चारा प्राप्त होता है।

उत्पादन और उपयोग

एक हेक्टेयर क्षेत्र में बरसीम से 60-80 टन तक हरा चारा प्राप्त किया जा सकता है। इसे पशुओं को ताजा खिलाया जा सकता है या साइलो में स्टोर कर चारे के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

निष्कर्ष

बरसीम की खेती से किसानों को उच्च गुणवत्ता वाला चारा मिलता है, जो पशुओं की सेहत और दूध उत्पादन में वृद्धि करता है। उचित जलवायु, सही बुवाई विधि और उर्वरक प्रबंधन से बरसीम की खेती में अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।

Climate and Soil Requirements

Climate: Berseem grows best in a cool climate with temperatures between 15-25°C, making it ideal for winter cultivation.

Soil: Light to medium, well-drained soils with a pH level between 6.5 to 7.5 are ideal for berseem. Ensure that the soil is rich in organic matter for optimal growth.

Preparing the Field

Plow the field thoroughly, making the soil loose and crumbly. Plow the field 2-3 times, followed by leveling with a roller to smoothen the soil. For better growth, incorporate organic manure or compost into the soil before the last plowing. This enriches the soil with essential nutrients.

Seed Selection and Sowing Time

Seed Selection: Choose high-quality seeds to ensure healthy plant growth.

Sowing Time: The ideal sowing period is from October to November for optimum yield.

Sowing Method: Berseem can be sown by broadcasting or in rows. Row sowing is recommended for easy management and growth.

Seed Rate and Spacing

For one hectare, use 20-25 kg of seeds. In row planting, maintain a spacing of 25-30 cm between rows to allow adequate growth and air circulation.

Fertilizer Management

Before sowing, apply 10-12 tons of well-rotted manure or compost to enrich the soil. Additionally, apply 20-25 kg of nitrogen per hectare to promote healthy growth.Irrigation

Berseem seeds require moisture to germinate, so provide a light irrigation immediately after sowing. Subsequent irrigation should be provided every 20-25 days, depending on moisture levels. Avoid waterlogging, as it can harm the crop’s roots.

Pest and Disease Management

Diseases: Berseem can be affected by diseases like leaf spot and stem rot. Use organic fungicides periodically to control these.

Pests: Aphids and pod borers can infest berseem. Organic insecticides or pest management practices can help protect the crop.

Harvesting

The first cut can be done 60-65 days after sowing. After the first harvest, subsequent cuts can be made every 25-30 days. A single season can yield 5-6 cuts, providing 10-15 tons of green fodder per hectare per cut.

Yield and Uses

Berseem typically produces 60-80 tons of green fodder per hectare in a season.It can be fed fresh to livestock or stored as silage for later use.

Conclusion

Berseem cultivation provides high-quality fodder essential for livestock health and milk production. With proper climate conditions, planting techniques, and nutrient management, farmers can achieve a high yield, ensuring a steady supply of nutritious fodder for their animals.

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