In recent years, agriculture has witnessed significant technological advancements, with innovative m ...
फसल व उनमें बीज उपचार फुटाव के लिए : गेहूं की पछेती बिजाई में शीघ्र व अधिक जमाव व फुटाव के लिए बीज को रात भर 12 घंटे भिगोएं। भिगोने वाले बर्तन में पानी का स्तर बीज से 2 सैंटीमीटर ऊपर रखें। बीज को पानी से निकालने के बाद चटाई या फर्श पर छाया में सुखाएं। तत्पश्चात् बीज को अनुमोदित कीटनाशक, फफूंदनाशक व जैविक खाद से उपचारित कर फरकरा होने पर एक घंटे बाद बिजाई करें। बीमारी के लिए बीज उपचार 1. गेहूं में पत्तियों की कांगियारी और करनाल बंट के लिए बीज उपचार क. पत्तियों की कांगियारी : वीटावैक्स या बाविस्टिन 2 ग्राम या टैब्यूकोनाजोल (रैक्सिल 2 डी. एस. ) 1 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से सूखा उपचार करें। ख. जौ में खुली कांगियारी के लिए बीज उपचार : वीटावैक्स या बाविस्टिन 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से सूखा उपचार करें। ग. जई में खुली कांगियारी के लिए बीज उपचार : वीटावैक्स या बाविस्टिन 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार करें। 2. क. करनाल बंट- बीजजनित करनाल बंट के बीजाणुओं के लिए बीज का थाइरम 2 ग्राम या टैब्यूकोनाजोल (रैक्सिल - 2 डी. एस ) 1 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से सूखा उपचार करें। 2. ख. मसूर ( लैंटिल) में राइजोबियम का टीका उपचार - मसूर की अधिक पैदावार के लिए बीज को राइजोबियम के टीके से उपचार करें। 2. ग. चने में उखेड़ा रोग के लिए बीज उपचार बाविस्टीन 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से बीज को उपचारित करें। बिजाई से पूर्व बीज का उपचार जैविक फफूंदनाशक ट्राइकोडरमा विरडी (बायोडरमा) 4 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के साथ वीटावैक्स 1 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार करें। बीजोपचार के लिए 4 ग्राम बायोडरमा और 1 ग्राम वीटावैक्स का उतनी मात्रा के बराबर पान (5 मिलीलीटर) में लेप बनाकर प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार करें। यह उपचार रोगग्राही किस्मों के लिए है। घ. मटर में जड़गलन तथा पौधों का मुरझाना - बाविस्टीन से 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से बीज का उपचार करें। ड. सरसों / राया में तना गलन के लिए बीज उपचार - बिजाई से पहले 2 ग्राम कारबेन्डाज़िम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से उपचारित करें। च. सूरजमुखी में जड़ एवं तना गलन बीज का उपचार बाविस्टीन 2 ग्राम या थाइरम 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से करें । छ. अलसी (फ्लैक्स सीड) में बीज गलन व आर्द्रगलन (डैम्पिंग ऑफ) के लिए बीज उपचार बीज का 3 ग्राम थाइरम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार करें। ज. बसंतकालीन मक्का में बीज उपचार रोगों से बचाने के लिए थाइरम 4 ग्राम या कैप्टॉन 2.5 ग्राम प्रतिकिलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें।
हमारे देश में किसानों द्वारा रबी के मौसम में गेहूं, सरसों, चना, मटर, जौ, जई इत्यादि की फसलें बोई जाती हैं। बीज के प्रबन्धन के बाद सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य बीज उपचार का आता है। बीज उपचार करने के लिए 12 से 24 घंटे का समय आवश्यक है। बीज उपचार की तरतीब का पता होना भी आवश्यक है । माप तोल के लिए भी काफी विचार करना पड़ता है। 2 ग्राम मात्रा किसान कैसे तोलें ? ये इस तरह के प्रश्न हैं जिनका व्यावहारिक जवाब देना अत्यावश्यक है। प्रत्येक कीटनाशक, फफूंदनाशक व जैविक खाद के साथ तोलने के लिए कुछ न कुछ तो दिया होता है किन्तु ऐसा हमेशा संभव नहीं। इसके लिए सबसे सरल उपाय यही है कि किसान जहां से उपचार का सामान खरीदता है उसे वहीं के दुकानदार से सामग्री को तुलवाना चाहिए। दूसरा उपाय यह है कि इसके लिए किसान ग्राम या मिलीलीटर का माप खरीद कर रख ले। वैसे एक मेज चम्मच 8 ग्राम का पदार्थ ग्रहण करती है, किन्तु यह कुछ त्रुटिपूर्ण हो सकता है लेकिन अन्दाजन यह काम कर सकता है। Text Here
सूत्रकृमि के लिए बीज उपचार 3. गेहूं में मोल्या रोग के लिए बीज उपचार : एजोटोबैक्टर एच.टी. 54 टीके की एक शीशी (50 मि.ली.) प्रति 10 किलोग्राम बीज की दर से उपचार करें। इस बीज को छाया में सुखा कर बोयें । कीट प्रबंधन के लिए बीज उपचार 4. क. गेहूं में दीमक की रोकथाम के लिए बीज उपचार : 40 किलोग्राम गेहूं के बीज को 60 मिलीलीटर क्लोरपायरीफॉस 20 ई.सी. या 200 मिलीलीटर इथियोन 50 ई.सी. (फॉसमाईट 50 ई.सी.) से उपचारित करें। इन कीटनाशकों में से किसी एक को पानी में मिलाकर 2 लीटर घोल बना लें। फिर बीज को एकसार फर्श पर डाल कर बिछा दें और यह घोल ऊपर से छिड़क दें। बीज को हिला दें ताकि यह घोल सब बीजों पर लग सके। उपचारित बीज को रात भर सूखने के बाद ही बोयें। उपर्युक्त उपचार से बीज फूल जाते हैं। इसलिए सीड ड्रिल का डिस्चार्ज रेट 10 प्रतिशत बढ़ा दें । 4. ख. जौ में दीमक की रोकथाम के लिए बीज उपचार : दीमक की रोकथाम के लिए 100 किलोग्राम जौ के बीज को 600 मिलीलीटर क्लोरपायरीफॉस 20 ई. सी. से उपचारित करें। इसके लिए क्लोरपायरीफॉस को पानी में मिलाकर कुल 12.5 लीटर घोल बनायें व उपचार करें। जैविक खाद का प्रयोग 5. क. चने में राइजोबियम का बीज उपचार : चने की अच्छी पैदावार लेने के लिए बिजाई से पहले बीज का राइजोबियम के टीके से उपचार करें। इस उपचार से जड़ों में ग्रन्थियां अच्छी बनती हैं। राइजोबियम का टीका करने का ढंग इस प्रकार है : 50-60 ग्राम गुड़ को 2 कप पानी में घोल लें। फिर इस घोल को एक एकड़ के बीजों में मिला दें। गुड़ लगे बीजों पर चने के टीके को डाल कर हाथ से मिलाएं ताकि द्रव्य बीजों पर अच्छी तरह लग जाए। इसके बाद उपचारित बीज को छाया में सुखाकर बीजें । 5. ख. मटर में राइजोबियम का टीका उपचार - बिजाई से पहले बीज का राइजोबियम के टीके से उपचार करें।
0
0
In recent years, agriculture has witnessed significant technological advancements, with innovative m ...